वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा
![Image](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2b3uJ61fxBE2aPnfFn-UycWAOEFiPuNq20-VJRTwvCWUvxEl-K_qsgUKWhpkX_I66N6uNDykRlgk8bke7zGYWZ_kEOFGd6BkqVwbpgfX7aggf1Lvp4s4pUi737qlOTz8xB8xYVSRDclH37c8uCCd-yEY1zEVg2XNNvksANQUlm1J5f5ny7v0okR5zMhSY/w653-h368/RSS.jpg)
मृत्युंजय कुमार झा (स्वयंसेवक) आर.एस.एस वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा इस देश के वामपंथी इतिहासकारों ने अपने आख्यान और झूठे प्रचार को स्थापित करने के लिए भारत के सच्चे इतिहास को क्षति पहुँचाई है। रोमिला थापर , बिपिन चंद्र और एस गोपाल , इरफान हबीब , आरएस शर्मा , डीएन झा , सूरज भान और अख्तर अली जैसे इतिहासकारों के समूह ने झूठे आख्यानों का निर्माण किया है और लंबे समय तक गौरवशाली हिंदू अतीत को अंधेरे युग के रूप में रेखांकित किया है और मुगल काल को भारत के स्वर्ण युग के रूप में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। उन्होंने भारत में मुस्लिम शासन के दौरान बड़े पैमाने पर धर्मांतरण और हिंदू लोगों के शोषण की अनदेखी की। हम इतिहास की मार्क्सवादी व्याख्या से उत्पन्न जिन समस्याओं को हल करना चाहते हैं , उनमें से एक का उल्लेख बेल्जियम के प्राच्यविद् और भारतविद् कोनराड एल्स्ट भारत में निषेधवाद के रूप में करते हैं। भारतीय इतिहास और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर अपने लेखन के लिए जाने जाने वाले एल्स्ट का कहना है कि एक तरफ जहां यूरोप में निषेधवाद का अर्थ द्व...